2020 तक एक तिहाई आबादी को चपेट में ले लेगा हाई बीपी

2020 तक एक तिहाई आबादी को चपेट में ले लेगा हाई बीपी

सेहतराग टीम

हाई ब्‍लड प्रेशर इंसानी शरीर में ऐसी मेडिकल कंडीशन है जो अपने साथ साथ न जाने कितने खतरे बटोर लेती है। इसके कारण हृदय रोग, मस्तिष्‍काघात यानी स्‍ट्रोक, किडनी की समस्‍या और न जाने कितनी परेशानियां होती हैं। हमारी धमनियों में रक्‍त का दबाव अधिकतम 120 एमएमएचजी और न्‍यूनतम 80 एमएमएचजी तक सामान्‍य माना जाता है। अगर यही दबाव ऊपर यानी सिस्‍टोलिक में 140 और नीचे यानी डायस्‍टोलिक में 90 को पार कर जाए और अधिकांश समय ये ज्‍यादा रीडिंग ही बना रहे तो संबंधित व्‍यक्ति को हाई बीपी यानी हाइपरटेंशन का मरीज माना जाता है।

हाल में हमने आपको सेहतराग पर ये जानकारी दी थी कि 140/90 तक बीपी वाले लोगों में शारीरिक व्‍यायाम दवा के बराबर ही असरकारक होती है। यानी यदि आपका रक्‍तचाप इस सीमा के आस-पास रहता है तो आप व्‍यायाम के जरिये उसे सामान्‍य स्‍तर पर ला सकते हैं। ऐसा लंदन में शोधकर्ताओं ने कई मरीजों पर अध्‍ययन करके साबित किया है।

वैसे नियमित व्‍यायाम कहने में तो आसान लगता है मगर हम सभी जानते हैं कि इसे नियमित रूप से करते रहना मुश्किल होता है। इसके लिए शारीरिक श्रम से ज्‍यादा मानसिक मजबूती की जरूरत होती है अन्‍यथा कितने भी उत्‍साह में शुरू किया जाए, कुछ महीनों के बाद उत्‍साह ठंडा और सारी स्थिति फ‍िर पहले की तरह हो जाती है।

भारतीयों को ये बात समझनी चाहिए कि हाई बीपी उनके इसी आलसीपन के कारण पसरता जा रहा है और साल 2020 देश की एक तिहाई आबादी के इस समस्‍या की चपेट में आने की आशंका है। अध्‍ययन बताते हैं कि भारतीय शहरों में वर्तमान में 20 से 40 फीसदी और गांवों में 12 से 17 फीसदी तक लोग हाइपरटेंशन के मरीज हो चुके हैं।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्‍यक्ष डॉक्‍टर के.के. अग्रवाल कहते हैं कि पिछले तीन दशकों में भारत के शहरों और गांवों में हाइपरटेंशन का प्रसार तेज गति से हुआ है। इसे देखते हुए 30 साल की उम्र के बाद नियमित रूप से सालाना स्‍वास्‍थ्‍य जांच जरूर करवाना चाहिए फ‍िर भले ही आपके परिवार में डायबिटीज, बीपी अथवा जीवनशैली से संबंधित कोई और बीमारी का इतिहास रहा हो या नहीं। दूसरी ओर जिनके परिवार में ऐसा कोई इतिहास है उन्‍हें हर महीने अपनी जांच करवानी चाहिए क्‍योंकि बीपी को सामान्‍य जीवनशैली बदलावों से रोका जा सकता है। इसलिए ये जरूरी है कि जोख‍िम क्षेत्र में आने वालों की बीपी की जांच नियमित रूप से हो इसके लिए पर्याप्‍त जागरूकता फैलाई जाए।

वैसे हाई बीपी के लक्षणों को लेकर हमेशा विवाद रहा है। कई बार ये बिना कोई लक्षण दिखाए लोगों के शरीर में जड़ जमा लेता है और कभी कभी इसके कुछ लक्षण जैसे कि चक्‍कर आना, सांस की कमी, सिरदर्द, थकान, कभी कभी छाती में दर्द, धकधकी और नाक से खून आना शामिल है।

इस बारे में डॉक्‍टर अग्रवाल कहते हैं, ऐसे लोग जिन्‍हें ये पता है कि उन्‍हें हाई बीपी है और वो उसे नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं उनमें ये एक भारी बोझ की तरह होता है। ये सामान्‍य स्‍वास्‍थ्‍य से जुड़ी चिंता बढ़ा देता है। आप क्‍या खाएं और कितना सक्रिय रहें ये सब इसपर निर्भर करने लगता है क्‍योंकि बीपी को नियंत्रित करने के लिए कम सोडियम यानी कम नमक वाला खाना लेना होता है और व्‍यायाम ज्‍यादा करना होता है। कुछ लोगों को दवा भी खानी होती है और कुछ लोगों को तो दिन में एक से अधिक बार दवा लेनी पड़ सकती है।

कुछ सुझाव

  • अपनी लंबाई के अनुसार स्‍वास्‍थ्‍यकर वजन मेंटेन करें
  • नियमित रूप से कसरत करें
  • फल, सब्जियां और साबूत अनाज वाले खाने को प्राथमिकता दें
  • दिनभर में एक छोटा चम्‍मच से अधिक नमक न खाएं और पोटैशियम की खुराक बढाएं
  • यदि पीनी ही हो तो शराब को बेहद कम मात्रा में पिएं
  • तनाव घटाएं
  • अपने ब्‍लड प्रेशर की जांच नियमित रूप से करते रहें और इसे नियंत्रण में रखने के लिए अपने डॉक्‍टर के नियमित संपर्क में रहें
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